Saturday, June 21, 2008

फिर से आ जाओ ज़िन्दगानी में,

फिर से आ जाओ ज़िन्दगानी में,
जैसा होता है इक कहानी में ।
मेरी नज़रों में एक है दोनों
अश्क में डूबना या पानी में ।
फर्क क्या है कि दोनों रोयेंगे
तुम बूढापे में हम जवानी में ।
जो थे जिन्दा तेरी ज़फा में भी
मर गये तेरी महेरबानी में ।
-मुकुल चोक्सी

No comments: